रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -36

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -36

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना 10

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
“गणना करने की दूसरी विधि बतलाई जाती है”
12000 दिव्य वर्ष को 71 चतुर्युग के दिव्य वर्ष से भाग करे
12000/71=169.01408 एक चतुर्युग का दिव्य वर्ष
12000 दिव्य वर्ष को प्रत्येक चतुर्युग के दिव्य वर्ष से भाग करे इससे आपको सत्य-युग, त्रेता, द्वापर और कलयुग नाम वाले काल के अंक प्राप्त होगा

एक मनवन्तर के 12000 दिव्य वर्ष में 4000 दिव्य वर्ष के सत्य-युग होता है, 3000 दिव्य वर्ष के त्रेता होता है, 2000 दिव्य वर्ष के द्वापर होता है और 1000 दिव्य वर्ष के कलयुग होता है इसके द्वारा प्रत्येक युग में होने वाले देवताओं और मनुष्यों के वर्ष कितने कितने होते है यह बताया जाता है
12000/4000 = 3 सत्ययुग
12000/3000 = 4 त्रेता
12000/2000 = 6 द्वापर
12000/1000 = 12 कलयुग
12000 दिव्य वर्ष को 71 चतुर्युग से भाग करने पर जो अंक प्राप्त हुआ है उसे 3, 4, 6, 12 से भाग कर दीजिय इससे आपको प्रत्येक चतुर्युग काल के दिव्य वर्ष प्राप्त हो जायेगा
169.01408/3 = 56.33802 दिव्य वर्ष सत्ययुग
169.01408/4 = 42.25352 दिव्य वर्ष त्रेता
169.01408/6 = 28.169013 दिव्य वर्ष द्वापर
169.01408/12 = 14.084507 दिव्य वर्ष कलयुग
3, 4, 6 और 12 से भाग करने पर जो अंक प्राप्त हुआ है उसे 360 से गुना कर दीजिये इसके द्वारा आपको प्रत्येक युग में मनुष्यों वाला कितने वर्ष का होता है वह प्राप्त हो जाएगा
56.338027 X 360 = 20281.69 (सत्य-युग)
42.25352 X 360 = 15211.267 (त्रेता -युग)
28.169013 X 360 = 10140.845 (द्वापर -युग)
14.084507 X 360 = 5070.4225 (कलयुग)
20281.69 वर्ष मनुष्यों के गणना विधि से सत्य-युग का समय होता है जो एक चतुर्युग के काल में होने वाले समय है
15211.267 वर्ष मनुष्यों के गणना विधि से त्रेता-युग का समय होता है जो एक चतुर्युग के काल में होने वाले समय है
10140.845 वर्ष मनुष्यों के गणना विधि से द्वापर-युग का समय होता है जो एक चतुर्युग के काल में होने वाले समय है
5070.4225 वर्ष मनुष्यों के गणना विधि से कलयुग का समय होता है जो एक चतुर्युग के काल में होने वाले समय है
अब चारों युग के वर्ष को आपस में जोड़ दीजिय आपको एक चतुर्युग का सम्पूर्ण वर्ष प्राप्त हो जाएगा
सत्ययुग + त्रेता + द्वापर + कलयुग = एक चतुर्युग
20281.69 + 15211.267 + 10140.845 + 5070.4225 = 50704.225
50704.225 एक चतुर्युग का सम्पूर्ण वर्ष है
एक मनवन्तर में कितने वर्ष का चारों काल होता है इसको जानने के लिय सभी काल के प्राप्त वर्ष को 71 से गुना कर दीजिये
20281.69 X 71 = 1439963 सत्ययुग (1440000)
15211.267 X 71 = 1080000 त्रेता
10140.845 X 71 = 720000 द्वापर
5070.4225 X 71 = 360000 कलयुग
दिव्य वर्ष जानने के लिए प्राप्त अंक में 360 से भाग कर दीजिय आपको ऊपर बताये गए सभी दिव्य वर्ष प्राप्त हो जाएंगे
1439963/360 = 3999.988 (4000) सत्ययुग
1080000/360 = 3000 त्रेता
720000/360 = 2000 द्वापर
360000/360 = 1000 कलयुग
1439963 + 1080000 + 720000 + 360000 = 3599963
3999.988 + 3000 + 2000 + 1000 = 9999.988 (10000 दिव्यवर्ष)
मनुष्यो वाले जो दिन रात होते है इस हिसाब से 3599963 वर्ष (3600000 वर्ष) एक मनवन्तर में होते है इसको 360 से भाग करे आपको 10000 दिव्य वर्ष मिल जाएगा
3599963/360 = 9999.8972222222 (10000 दिव्यवर्ष)
169.01408/3=56.338027X360=20281.69X71=1439963/360=3999.988 (4000) सत्ययुग
169.01408/4=42.25352X360=15211.267X71=1080000/360=3000 त्रेता
169.01408/6=28.169013X360=10140.845X71=720000/360=2000 द्वापर
169.01408/12=14.084507X360=5070.4225X71=360000/360=1000 कलयुग
इस समय कलयुग नाम वाला समय चल रहा है जिसकी आयु 5070 या 5071 वर्ष है जिसमे अब तक 5015 वर्ष समाप्त हो चुका है यह गणना इस समय अग्रेजी गणना के अनुसार 2013 वर्ष से यह सभी गणना की गयी है इस युग को समाप्त होने में मात्र कुछ और ही समय बच गया है जिसके बाद सतयुग आरम्भ हो जाएगा

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -35

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -35

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०9

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार

हे महामते मनुष्यों के सौर गणना के अनुसार एक वर्ष में 365 दिन 6 घंटा 8 मिनट का समय होता है, इसी तरह अब आप एक चतुर्युग में कितने दिन कौन सी युग के होते है वह समझ लीजिय.
एक मनवन्तर के सम्पूर्ण दिन को एक मनवन्तर के सम्पूर्ण चतुर्युग से भाग कर दीजिय आपको एक चतुर्युग का दिन प्राप्त हो जाएगा

1577917828/71 = 22224194.760563380281…….
22224194 एक मनवन्तर के सम्पूर्ण एक चतुर्युग के दिन है
सत्ययुग + त्रेता + द्वापर + कलयुग = एक चतुर्युग
इस एक चतुर्युग के दिन को 3, 4, 6, 12 से भाग कर दीजिय
22224194/3 = 7408064.66666.. एक चतुर्युग में सत्य-युग के दिन
22224194/4 = 5556048.5 एक चतुर्युग में त्रेता-युग के दिन
22224194/6 = 3704032.333333…. एक चतुर्युग में द्वापर-युग के दिन
22224194/12 = 1852016.16666… एक चतुर्युग में कलयुग के दिन
7408064 + 5556048 + 3704032 + 1852016 = 18520161.665
22224194 – 18520161 = 3704033
इस 3704033 दिन को 2.5, 3.3333333, 5, 10 से भाग कर दीजिय
3704033/2.5 = 1481613.2 दिन
3704033/3.3333333 = 1111209.911112099 दिन
3704033/5 = 740806.6 दिन
3704033/10 = 370403.3 दिन

हे महामते कलयुग में मनुष्यो वाली दिन-रात 1852016 है
कलयुग में पितरों वाले स्थान अलास्का नाम के शहर के डेड-हार्स नामक प्रांत में 370403 इतना दिन होता है
कलयुग के दिव्य दिन वाले स्थान पृथ्वी के उत्तरायण (North Pole) और दक्षिणायन (South Pole) में 5066 दिन होता है

एक महायुग में जो सूर्य महीना बताया गया है उसी तरह चन्द्र महीना का भी सम्पूर्ण जोड़ यह 53433336 है यह भी उसी तरह गणना करना चाहिए जैसे सूर्य महीना की गणना की गयी है। 25082252 यह जो तिथीक्षय जो है यह वह सम्पूर्ण दिन की सख्या है जो महीना में दिन कम और ज्य़ादा जो होता है उसी का सम्पूर्ण योग है

इसी तरह हिंदी महीना या कलेंडर में आधी मास का जो एक मनवन्तर में आते है यह उसका यह सम्पूर्ण योग 1593336 है

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -34

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -34

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०8

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
71 युगो का समलित मान जिसे महायुग भी कहते है इन सभी युगों के वर्षों को जोरने पर 4320000 वर्ष आता है क्योकी देवताओं के एक युग 12000 वर्ष के होते है वेद ने सावन के गणना के द्वारा समस्त चीजो के बारे में बताया है सावन के गणना के हिसाब से 360 दिन बराबर एक वर्ष मनुष्यों का होता है इसलिय 12000X360 = 4320000 वर्ष होते है

4320000 वर्ष में 1577917828 दिन होते है अब इस दिन को सम्पूर्ण वर्ष से भाग कर दीजिय आपको 365.258.. दिन का एक वर्ष मिलेगा

1577917828/4320000 = 365.2587564 दिन = 1 वर्ष
365.2587564/12 = 30.4382297 दिन = 1 महीना
1577917828/30.4382297 = 51840000.0115644 एक मन्वन्तर का सम्पूर्ण महीना
51840000.0115644X30.4382297 = 1577917828 एक मन्वन्तर का सम्पूर्ण दिन

अब वर्तमान समय के जो गणना है उसके अनुसार समय निकाल लीजिय
वैदिक गणना में 30 मुहूर्त = 1 दिन रात होता है और वर्तमान समय में यह 24 धंटे का होता है इस लिय 30 को 24 से भाग दे दीजिय आपको 1 धंटे का समय प्राप्त होगा और इस 1 धंटे को 365 दिन के आये हुए समय के साथ गुना कर दीजिय आपको आज के वर्तमान समय के धंटा मिनट सकेंड मिली सकेंड मिल जाएगा
15 = 1 निमेष (0.0005926 min)
15 निमेष =1 काष्ठा (0.0088889 min)
30 काष्ठा = 1 कला (0.1333333 min)
30 कला = 1 क्षण (4 min)
6 क्षण = 1 धडी (24 min)
2 धडी = 1 मुहर्त (48 min)
30 मुहर्त 1 दिन-रात (1440 min)
365.2587564 यह सम्पूर्ण 1 वर्ष का समय है
इसमे 365 दिन है, 2 मुहर्त, 5 धड़ी, 8 क्षण, 7 कला, 5 काष्ठा, 6 निमेष, 4 बार आँख का पलक उठाना गिरना
24 hrs X 60 min = 1440 min (one day min)
2X48=96 min
5X24=120 min
8X4=32 min
7X
6X
4X
96+120+32=248 min / 60 min =4.1333333 (total day of year 365 day 4 hrs 13 min 33 sesond ….)

अगर मनुष्यों वाली दिन रात को सूर्य को प्रमाण मान कर गणना करते है तो 365 दिन 4 घंटे, 13 मिनट, 33 सेकेंड का समय आएगा परन्तु यदि आप मनुष्यों और पितर के दिन को आपस में जोर कर गणना करेंगे तो आपको 365 दिन, 6 घंटे 8 मिनट का समय आएगा
एक मनवन्तर में तिथिक्षय 25082252 दिन के होते है, तिथिक्षय को 4320000 वर्ष से भाग कर दीजिय, आपको एक वर्ष में होने वाले तिथिक्षय के दिन प्राप्त हो जाएंगे
25082252/4320000 = 5.806076851……..
इसमे तिथिक्षय 5 दिन है, 8 मुहर्त, 0 धड़ी, 6 क्षण, 0 कला, 7 काष्ठा, 6 निमेष, 8 बार आँख का पलक उठाना गिरना, इसके आगे भी गणना है किन्तु अत्यधिक होने के कारण इसको समलित नहीं किया गया है
8X48 = 384 min
6X4 = 24 min
384+24=408 min / 60 = 6.8

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -33

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -33

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०7

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
2 महीना = 1 ऋतू
3 ऋतू = 1 अयन
2 अयन = 1 वर्ष (12 महीनो = 1 वर्ष)
1 वर्ष में 2 अयन होते है जिसको उत्तरायण और दक्षिणायन कहते है
6 महीना = 1 पहला अयन (उत्तरायण North Pole में होते है)
6 महीना = 1 दूसरा अयन (दक्षिणायन South Pole में होते है)

उत्तरायण देवताओं का 1 दिन, दक्षिणायन देवताओं का 1 रात्री होते है यह दिन और रात इस वर्तमान समय में पृथ्वी के उत्तरायण में जिसका वर्त्तमान नाम नार्थ अटलांटिका और दक्षिणायन में जिसका वर्त्तमान नाम साउथ अटलांटिका है वहाँ होता है यह इसका प्रमाण है

एक मनवंतर के सत्य युग में 4000 हजार दिव्य वर्ष, त्रेता में 3000 हजार दिव्य वर्ष, द्वापर में 2000 दिव्य वर्ष और कलयुग में 1000 दिव्य वर्ष होते है

चारो युगों के वर्षों को जोरने पर 10000 हजार दिव्य वर्ष यह देवताओं के वर्ष होता है तथा 2000 दिव्य वर्ष जो बचता है वह पितरों का संध्या और संध्यांश वर्ष है (400+400+300+300+200+200+100+100 = 2000) इस तरह 12000 हजार दिव्य वर्ष देवताओं का एक मनवंतर कहलाता है
मनुष्यों का 1 वर्ष = 1 दिन देवताओं का
मनुष्यों का 360 वर्ष = 1 वर्ष देवताओ का (देवताओं के वर्ष को दिव्यवर्ष कहते है)

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -32

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -32

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०6

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार

अब मनुष्यों के गणना विधी समझ लीजिये
(आँख के पलक को उठने और गिरने में जितना समय लगता है उसे निमेष कहते है)
1 निमेष
15 निमेष =1 काष्ठा
30 काष्ठा = 1 कला
30 कला = 1 क्षण
6 क्षण = 1 धडी
2 धडी = 1 मुहर्त
30 मुहर्त 1 दिन-रात (15 मुहर्त का दिन और 15 मुहर्त की रात होती है) (24 hrs)
30 दिन = 1 महीना

1 महीना में 2 पक्ष होते है जिसमे 15 दिन का कृष्णपक्ष 15 दिन को शुक्लपक्ष होता है
यह दो पक्ष पितरों का संध्या और संध्यांश है, इसमे संध्या पितरो की दिन होता है और रात्री को संध्यांश कहते है यह सांध्या और संध्यांश पृथ्वी की उत्तरायण भाग Alaska में होता है, पूर्णिमा वाले जो 15 दिन के मनुष्य के लिए जो रात्री होती है वह पितरों के लिए 1 रात होता है, जो आमवाश्या वाली 15 दिन की जो काली रात होती है वह पितरों का 1 दिन होता है इस तरह मनुष्यों का जो एक महीना का समय होता है वह पितरों के लिए एक दिन होता है

एक मनवनतर में संध्या और संध्यांश इस तरह से होता है सतयुग में 400 वर्ष के सध्या और 400 वर्ष के संध्यांश होता है, त्रेता में 300 वर्ष के स्नाध्या और 300 वर्ष के संध्यांश होता है, द्वापर में 200 वर्ष के सध्या और 200 वर्ष के संध्यांश होता है और कलयुग में 100 वर्ष के सध्या और 100 वर्ष के संध्यांश होता है

संध्या और संध्यांश के बिच में जो मनुष्यों वाली दिन रात होती है उसे युग कहते है, जब चार चतुर्युग वाला काल एक चरण से दूसरे चरण की ओर जाता है तो यह संध्या और संध्यांश की इस तरह के स्थिती होती है युग के आरम्भ में संध्या के समय मनुष्य जैसा दिन रात होता है, जब युग का अंत होने लगता है तब संध्यांश के समय मनुष्यों जैसी दिन रात होते है यही इसका प्रमाण है यह स्थिती इस वर्त्तमान समय में पृथ्वी की उत्तरायण भाग के अलास्का नाम वाले जगह में डेड हॉर्स नाम के प्रांत में होते दिखाई देता है

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -31

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -31

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०5

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार

मन्वन्तर के गणना करने की चार विधि है सूर्य के द्वारा, चन्द्र के द्वारा, ऋतू के द्वारा और नक्षत्र के द्वारा इसके अलावा 5वा विधि नहीं है इसी चार विधि के द्वारा मनुष्यों में गणना की जाती है

सूर्य के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 365 दिन का एक वर्ष होता है, चन्द्रमा के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 354 दिन का एक वर्ष होता है, ऋतू या सावन के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 360 दिन का एक वर्ष होता है, नक्षत्र के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 335 दिन का एक वर्ष होता है

इन्ही चार गणनाओं के द्वारा भारत वर्ष के पावन मनुष्य अपने कार्य को करने में करते है
1. सर्दी, गर्मी और वर्षा की गणना सूर्य के महीनो के द्वारा की जाती है
2. अग्निष्टोम कार्य जैसे यज्ञ, उत्सव और विवाह ये सावन के गणना द्वारा की जाती है
3. जीविका चलाने के कार्य समबन्धी की गणना माला-मास युक्त चन्द्रमा की गणना से की जाती है
4. ग्रहों की चाल का सही स्थिति जानने के लिए नक्षत्र के द्वारा गणना की जाती है

युगादि तिथियों का वर्णन
(1) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को सतयुग का प्रारम्भ होता है (May 3 )
(2) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को त्रेता का प्रारम्भ होता है (November 9)
(3) भ्रादपद मास के कृषण पक्ष की त्रयोदशी को द्वापर का प्रारम्भ होता है ( August 3)
(4) माध मास की पूर्णिमा को कलयुग का प्रारम्भ होता है ( December 15)

ये चारों युगादि तिथी है इन तिथियों में क्रम से सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग इन चारों युगों का प्रारम्भ होता है
जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और वृहस्पति एक ही समय एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करेंगे, एक राशी पर एक साथ आवेंगे उसी समय सतयुग का आरम्भ हो जाएगा

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -30

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -30

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०4

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार

अभी जो वैवस्वत मनवन्तर चल रहा है इस वैवस्वत मनवन्तर के 71 चतुर्युग में 27 चतुर्युग बीत चुका है और 28वा चतुर्युग चल रहा है इस 28वा चतुर्युग में भी सत्य युग, त्रेता और द्वापर नाम की युग समाप्त हो चुका है अभी आखरी युग के कलयुग चल रहा है इसे भी समाप्त होने मे कुछ हीं समय बचा है

एक मनवन्तर के 71 चतुर्युग को देवताओं के गणना के अनुसार 12000 हजार दिव्य वर्ष कहते है इस एक मनवन्तर के 12000 दिव्य वर्ष में 4000 दिव्य वर्ष के सत्य युग होता है, 3000 दिव्य वर्ष के त्रेता होता है 2000 दिव्य वर्ष के द्वापर होता है और 1000 दिव्य वर्ष के कलियुग होता है, पितरों का संध्या और संध्यांश सत्य युग मे 800 वर्ष के होते है, त्रेता युग मे 600 वर्ष के संध्या और संध्यांश होते है द्वापर मे 400 वर्ष के संध्या और संध्यांश होते है और कलियुग मे 200 वर्ष के संध्या और संध्यांश होते है और मनुष्यों के गणना के अनुसार एक मनवन्तर की आयु 4320000 वर्ष होते है |

एक मन्वन्तर के 4320000 वर्ष में मनुष्यों के दिन-रात 1577917828 होते है | 1577917828 दिन में महीना, तिथिक्षय, आधी मास और चन्द्र मास निचे दिए हुए अंकों जितना होता है

रवि मासों की संख्या 51840000 है, तिथि क्षय 25082252 होते है, अधिमास 1593336 होते है और चान्द्र मास 53433336 होते है