रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -15
भूमण्डल विस्तार वरणम्
पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन
भूमण्डल विस्तार वरणम्
पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन
(6) शाल्मल द्वीप (Maui Island)
शाल्मल द्वीप के स्वामी वीर वपुष्मान है उनके सात पुत्र है और इन्ही के नाम पर सात वर्ष है जिनके नाम यह है श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस, तथा सुप्रभ
शाल्मल द्वीप इक्षुरस समुन्द्र के द्वारा सब ओर से धीरा हुआ है वहाँ भी सात ही वर्ष पर्वत है जहा रत्नों की खाने है सभी पर्वत पीले सुवर्णमय है नदिया भी सात है पर्वतो के नाम कुमुद, उन्नत, वलाहक, द्रोण, कंग, महिष, तथा इन पर्वतो में श्रेष्ठ ककूधान है इनमे द्रोण पर्वत पर कितनी ही महौषधियां है यहाँ के नदियों के नाम श्रोणी, तोया, वितृष्णा, चन्द्रा, शुक्रा, विमोचनी, तथा निवृत्ती है वहा श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस, तथा सुप्रभ सात वर्ष है जिनमे चार वर्णों के लोग निवास करते है जिसे कपिल, अरूण, पीत और कृष्ण वर्ण कहते है जो क्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र माने जाते है ये सब यज्ञ पारायण हो सबके आत्मा, अविनाशी, एवं, यज्ञ में स्थित भगवान विष्णु की वायु रूप में आराधना करते है इस अत्यंत मनोहर द्वीप में देवगन सदा विराजमान रहते है वहाँ शाल्मली नाम का महान वृक्ष है जो उस द्वीप के नाम करन के कारण बना है यह द्वीप अपने सामान विस्तार वाला सुरा के समुद्र से धीरा है और वह सुरा रूपी मदिरा के समुद्र शाल्मल द्वीप से दुगुना विस्तार वाला कुश द्वीप द्वारा सब ओर से आवृत है इस प्रकार संक्षेप में शाल्मल द्वीप का वर्णन किया है
शाल्मल द्वीप के स्वामी वीर वपुष्मान है उनके सात पुत्र है और इन्ही के नाम पर सात वर्ष है जिनके नाम यह है श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस, तथा सुप्रभ
शाल्मल द्वीप इक्षुरस समुन्द्र के द्वारा सब ओर से धीरा हुआ है वहाँ भी सात ही वर्ष पर्वत है जहा रत्नों की खाने है सभी पर्वत पीले सुवर्णमय है नदिया भी सात है पर्वतो के नाम कुमुद, उन्नत, वलाहक, द्रोण, कंग, महिष, तथा इन पर्वतो में श्रेष्ठ ककूधान है इनमे द्रोण पर्वत पर कितनी ही महौषधियां है यहाँ के नदियों के नाम श्रोणी, तोया, वितृष्णा, चन्द्रा, शुक्रा, विमोचनी, तथा निवृत्ती है वहा श्वेत, हरित, जीमूत, रोहित, वैद्युत, मानस, तथा सुप्रभ सात वर्ष है जिनमे चार वर्णों के लोग निवास करते है जिसे कपिल, अरूण, पीत और कृष्ण वर्ण कहते है जो क्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र माने जाते है ये सब यज्ञ पारायण हो सबके आत्मा, अविनाशी, एवं, यज्ञ में स्थित भगवान विष्णु की वायु रूप में आराधना करते है इस अत्यंत मनोहर द्वीप में देवगन सदा विराजमान रहते है वहाँ शाल्मली नाम का महान वृक्ष है जो उस द्वीप के नाम करन के कारण बना है यह द्वीप अपने सामान विस्तार वाला सुरा के समुद्र से धीरा है और वह सुरा रूपी मदिरा के समुद्र शाल्मल द्वीप से दुगुना विस्तार वाला कुश द्वीप द्वारा सब ओर से आवृत है इस प्रकार संक्षेप में शाल्मल द्वीप का वर्णन किया है
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