रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -13

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -13

भूमण्डल विस्तार वरणम्

पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन

(4) क्रोच्च द्वीप (Oahu Island)

क्रोच्च द्वीप दीपों के क्रम में यह चौथा द्वीप है क्रोच्च द्वीप के राजा द्युतिमान है महात्मा धुति के सात पुत्र है महात्मा धुति अपने पुत्रों के ही नाम पर क्रोच्च द्वीप को सात विभाग किये जिसका नाम कुशग, मन्दग, उष्ण, पीवर, अन्धकारक, मुनी, और दुन्दुधि

क्रोच्च द्वीप में भी बड़े मनोरम सात वर्ष पर्वत है जिनपर देवता और गंधर्व निवास करते है उनके नाम ये है क्रोच्च, वामन, अन्धकारक, धोड़ी के मुख के समान रत्नमय देवव्रत, धर्म, पुण्डरीकवान, तथा महा पर्वत दुन्दुभी ये सभी पर्वत क्रम से एक दूसरे से दुगुने बड़े होते चले गए है द्वीप भी परस्पर एक दूसरे से दुगुने बड़े होते चले गए है जितने द्वीप है, द्वीपों में जितने पर्वत है, तथा पर्वतों द्वारा सीमित जितने भी वर्ष है उन सभी रमणीय प्रदेशों में देवताओं सहित समस्त प्रजा बेखट होकर निवास करती है

क्रोच्च द्वीप में पुष्कल, पुष्कर, धन्य और ख्यात ये चार वर्ण है जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र कहे जाते है वहा छोटी बड़ी सैकड़ों नदिया है जिनमे सात प्रधान नदिया है गौरी, कुमुद्वती, संध्या, रात्री, मनोजवा, ख्याति, तथा पुण्डरीका क्रोच्च द्वीप के निवासी इन्ही नदियों के पानी पीते है वहा पुष्कर आदि वर्णो के लोग यज्ञ के समीप ध्यान योग के द्वारा रूद्र स्वरुप भगवान जनार्दन का यजन करते है क्रोच्च द्वीप अपने सामान परिमाण वाले दधिमण्डोद नामक समुन्द्र से धीरा हुआ है

क्रोच्च द्वीप में बहुत बड़ा क्रोच्च पर्वत है इसी के नाम पर इस का क्रोच्च द्वीप नाम हुआ पूर्वकाल में श्री स्वामी कार्तिके जी के शास्त्र प्रहार से इसका कटिप्रदेश और लता निकुज्जादि क्षत विक्षत हो गए थे किन्तु क्षीर समुन्द्र से सींचा जाकर और वरुणदेव से सुरक्षित होकर यह फिर निर्भय हो गया है जिसे आजकल के वैज्ञानिक इस पर उलका गिरने का तर्क लगाते है

उस द्वीप में सात प्रधान पर्वत है पहला जो क्रोच्च पर्वत है उसे लोग विधुल्लता, रैवत और मानस नाम से भी पुकारते है अन्य पर्वतों के दो-दो नाम है जैसे पावन-अंधकार, अच्छोदक-देवावृत, सुराप-दविष्ठ, कांचननशृंग-दीनन्दन, गोविन्द-द्विविंद, पुण्डरीक-टोयासाह यह सातो रत्नमय पर्वत है जो एक से एक अधिक उचे होते चले गए है

क्रोच्च द्वीप के वर्ष भी दो-दो नामों से पुकारे जाते है जैसे कुशल-माधव, वामक-संवर्तक, उष्णवान-सप्रकाश, पावनक-सुदर्शन, अन्धकारक-संमोह, मुनिदेश-प्रकाश, दुदुन्धी,-अनर्थ वहा नदिया भी सात ही है ये भी दो दो नाम से पुकारी जाती है जैसे गौरी-पुष्पवाहा, कुमुद्वती-आर्द्रवती, रौद्रा-संध्या, सुखावहा-भोगजवा, क्षिप्रोदा-ख्याती, बहुला-पुण्डरीका कहते है देश के वर्ण वैचित्र्य से प्रभावित अनेको छोटी-छोटी नदियां है

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