रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -28

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -28

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०2

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार

देवताओं के एक मनवन्तर में 71 चतुर्युग होते है एक चतुर्युग में 4 काल होते है जिसका नाम (1) सत्य-युग, (2) त्रेता, (3) द्वापर और (4) कलयुग है

देवताओं के 71 चतुर्युग के आयु को 12000 हजार दिव्य वर्ष के रूप मे कहते है क्योकीं पृथवी पर तीन तरह के दिन रात होते है यह तीनों दिन रात मनुष्य, पितर और देवताओं के लिए होता है | पहला 30 मुहर्त के बराबर जो दिनरात होते है यह मनुष्यों के लिय होता है| दूसरा पृथ्वी के उत्तरायण भाग के कुरु देश में मणिमय प्रदेश मे पित्तरों का दिनरात होता है जिसे आजकल अलास्का (Alaska) कहते है उसे संधया और संध्यांश कहते है इस मणिमय प्रदेश मे दिनरात एक साथ स्थित रहते है कुछ क्षेत्र मे दिन और कुछ क्षेत्र मे रात होती है युग के हिसाब से सभी क्षेत्र मे दिन रात होते है | तीसरा पृथवी के उत्तरायण North Pole और दक्षिणायन भाग South Pole मे देवताओं के दिनरात होते है वहा मनुष्यों के 6 महीना बराबर दिन और 6 महीना बराबर रात होतीं है यह दिनरात देवताओं का एकदिन होता है जिसे देवताओं का दिव्य दिन कहा जाता है उत्तरायन North Pole मे जब सूर्य होता है तब देवताओं का दिन होता है और राक्षसों के लिय रात होती है जब दक्षिणायण South Pole मे सूर्य होता है वह देवताओं की रात होती है और राक्षसों के लिय दिन होती है इस तरह मनुष्यों, पित्तरों, राक्षसों और देवताओं के दिन रात का विभाग किया गया है

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