रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -31
कल्प विस्तार वरणम्
कल्प गणना ०5
ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
कल्प विस्तार वरणम्
कल्प गणना ०5
ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
मन्वन्तर के गणना करने की चार विधि है सूर्य के द्वारा, चन्द्र के द्वारा,
ऋतू के द्वारा और नक्षत्र के द्वारा इसके अलावा 5वा विधि नहीं है इसी चार
विधि के द्वारा मनुष्यों में गणना की जाती है
सूर्य के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 365 दिन का एक वर्ष होता है, चन्द्रमा के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 354 दिन का एक वर्ष होता है, ऋतू या सावन के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 360 दिन का एक वर्ष होता है, नक्षत्र के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 335 दिन का एक वर्ष होता है
इन्ही चार गणनाओं के द्वारा भारत वर्ष के पावन मनुष्य अपने कार्य को करने में करते है
1. सर्दी, गर्मी और वर्षा की गणना सूर्य के महीनो के द्वारा की जाती है
2. अग्निष्टोम कार्य जैसे यज्ञ, उत्सव और विवाह ये सावन के गणना द्वारा की जाती है
3. जीविका चलाने के कार्य समबन्धी की गणना माला-मास युक्त चन्द्रमा की गणना से की जाती है
4. ग्रहों की चाल का सही स्थिति जानने के लिए नक्षत्र के द्वारा गणना की जाती है
युगादि तिथियों का वर्णन
(1) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को सतयुग का प्रारम्भ होता है (May 3 )
(2) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को त्रेता का प्रारम्भ होता है (November 9)
(3) भ्रादपद मास के कृषण पक्ष की त्रयोदशी को द्वापर का प्रारम्भ होता है ( August 3)
(4) माध मास की पूर्णिमा को कलयुग का प्रारम्भ होता है ( December 15)
ये चारों युगादि तिथी है इन तिथियों में क्रम से सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग इन चारों युगों का प्रारम्भ होता है
जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और वृहस्पति एक ही समय एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करेंगे, एक राशी पर एक साथ आवेंगे उसी समय सतयुग का आरम्भ हो जाएगा
सूर्य के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 365 दिन का एक वर्ष होता है, चन्द्रमा के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 354 दिन का एक वर्ष होता है, ऋतू या सावन के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 360 दिन का एक वर्ष होता है, नक्षत्र के हिसाब से गणना करने पर मनुष्यों के 335 दिन का एक वर्ष होता है
इन्ही चार गणनाओं के द्वारा भारत वर्ष के पावन मनुष्य अपने कार्य को करने में करते है
1. सर्दी, गर्मी और वर्षा की गणना सूर्य के महीनो के द्वारा की जाती है
2. अग्निष्टोम कार्य जैसे यज्ञ, उत्सव और विवाह ये सावन के गणना द्वारा की जाती है
3. जीविका चलाने के कार्य समबन्धी की गणना माला-मास युक्त चन्द्रमा की गणना से की जाती है
4. ग्रहों की चाल का सही स्थिति जानने के लिए नक्षत्र के द्वारा गणना की जाती है
युगादि तिथियों का वर्णन
(1) वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को सतयुग का प्रारम्भ होता है (May 3 )
(2) कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को त्रेता का प्रारम्भ होता है (November 9)
(3) भ्रादपद मास के कृषण पक्ष की त्रयोदशी को द्वापर का प्रारम्भ होता है ( August 3)
(4) माध मास की पूर्णिमा को कलयुग का प्रारम्भ होता है ( December 15)
ये चारों युगादि तिथी है इन तिथियों में क्रम से सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग इन चारों युगों का प्रारम्भ होता है
जिस समय चन्द्रमा, सूर्य और वृहस्पति एक ही समय एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करेंगे, एक राशी पर एक साथ आवेंगे उसी समय सतयुग का आरम्भ हो जाएगा
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