रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -16

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -16

भूमण्डल विस्तार वरणम्

पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन

(7) पल्क्ष द्वीप (Hawaii Island)

जिस प्रकार जम्बूद्वीप खारे समुन्द्र के पानी से धीरा हुआ है उसी प्रकार उस समुन्द्र को भी धेरकर प्लक्ष द्वीप स्थित है द्वीप में सात जिहहों वाले अग्निदेव विराजते है अर्थात सात ज्वालामुखी है उस द्वीप के मध्य भाग में प्लक्ष नाम के बहुत बड़ा वृक्ष है उसी के नाम पर उस द्वीप को प्लक्ष द्वीप पड़ा है
पल्क्ष द्वीप के निवासी वैभ्राज नाम से विख्यात है आर्य, कुरु, विविंश तथा भावी यहाँ के वर्ण है चन्द्रमा इनके आराध्यदेव है

प्लक्ष द्वीप के राजा मेधातिथि के सात पुत्र हुय उनमे ज्येष्ठ पुत्र का नाम शांतमय है उससे छोटे क्रम से शिशिर, सुखोदय, आनंद, शिव, क्षेमक, तथा ध्रुव है ये सभी प्लक्ष द्वीप के राजा है इन्ही के नाम पर इस द्वीप में सात वर्ष है उनकी सीमा करने वाले सात मर्यादा पर्वत है उनके नाम क्रम से गोमेद, चन्द्र, नारद, दुंदुभी, सोमक, सुमना, तथा वैभ्राज ये सात वर्ष पर्वत है इन रमणीय पर्वतों पर देवताओं और गन्धर्वों सहित वहाँ की प्रजा निवास करती है उन सब में पवित्र जनपद है वीर पुरुष है ये चिरकाल तक जीवित रहकर मरते है मानसिक चिन्ताय तथा व्याधियां भी नहीं सताती वहाँ हर समय सुख मिलता है

प्लक्ष द्वीप में सात ही ऐसी नदिया है जो समुद्र में जा मिलाती है अनुतप्ता, शिखा, विप्राशा, त्रिदेवा, क्रमु, अमृता, तथा सुकृता ये सात वहा के मुख्य नदिया है इस प्रकार प्लक्ष द्वीप के प्रधान प्रधान पर्वतो और नदियों का वर्णन किया है

छोटी छोटी नदिया और छोटे छोटे पहाड़ हजारो है इन लोगों में ह्रास अथवा बृद्धि नहीं होती इन वर्षों में युगों की व्यवस्था नहीं होती वहा सदा ही त्रेता युग के सामान समय रहता है

प्लक्ष द्वीप से लेकर शाकद्वीप तक तक सदा त्रेता युग के समान समय रहता है यहां के लोग निरोग जीवन व्यतीत करते है इनमे वर्ण आश्रम विभाग अनुसार पांचों धर्म वर्तमान रहते है अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचार्य और अपरिग्रह ये पाचँ धर्म कहे गए है इस प्रकार संक्षेप में पल्क्ष द्वीप का वर्णन किया है

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