रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -30

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -30

कल्प विस्तार वरणम्

कल्प गणना ०4

ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार

अभी जो वैवस्वत मनवन्तर चल रहा है इस वैवस्वत मनवन्तर के 71 चतुर्युग में 27 चतुर्युग बीत चुका है और 28वा चतुर्युग चल रहा है इस 28वा चतुर्युग में भी सत्य युग, त्रेता और द्वापर नाम की युग समाप्त हो चुका है अभी आखरी युग के कलयुग चल रहा है इसे भी समाप्त होने मे कुछ हीं समय बचा है

एक मनवन्तर के 71 चतुर्युग को देवताओं के गणना के अनुसार 12000 हजार दिव्य वर्ष कहते है इस एक मनवन्तर के 12000 दिव्य वर्ष में 4000 दिव्य वर्ष के सत्य युग होता है, 3000 दिव्य वर्ष के त्रेता होता है 2000 दिव्य वर्ष के द्वापर होता है और 1000 दिव्य वर्ष के कलियुग होता है, पितरों का संध्या और संध्यांश सत्य युग मे 800 वर्ष के होते है, त्रेता युग मे 600 वर्ष के संध्या और संध्यांश होते है द्वापर मे 400 वर्ष के संध्या और संध्यांश होते है और कलियुग मे 200 वर्ष के संध्या और संध्यांश होते है और मनुष्यों के गणना के अनुसार एक मनवन्तर की आयु 4320000 वर्ष होते है |

एक मन्वन्तर के 4320000 वर्ष में मनुष्यों के दिन-रात 1577917828 होते है | 1577917828 दिन में महीना, तिथिक्षय, आधी मास और चन्द्र मास निचे दिए हुए अंकों जितना होता है

रवि मासों की संख्या 51840000 है, तिथि क्षय 25082252 होते है, अधिमास 1593336 होते है और चान्द्र मास 53433336 होते है

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