रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -12

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -12

भूमण्डल विस्तार वरणम्

पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन

(3) शाक द्वीप (Kaua’i Island)

शाकद्वीप के निवासी बड़े पवित्र और दीर्धजीवी होते है दरिन्द्रता बुढ़ापा,और व्याधि का उन्हें पता नहीं रहता, इस शाक द्वीप में सात ही मर्यादा पर्वत है इस द्वीप के दोनों और समुन्द्र है एक ओर लवण समुन्द्र और दूसरी ओर क्षीर समुन्द्र वहा पूर्व में फैला हुआ हुआ महान पर्वत उदयाचल के नाम से प्रसिद्द है उसके ऊपर भाग में जो पर्वत है उसका नाम जलधार है उसी को लोग चंद्रगिरी भी कहते है इंद्रा वही से जल लेकर वर्षा करते है उसके बाद श्वेताक नाम का पर्वत है उसके अंतगर्त छ: छोटे-छोटे पर्वत है वहा की प्रजा इन पर्वतों पर अनेक प्रकार की मनोरंजन करती है उसके बाद रजत गिरी है उसी को जनता शाकगिरी भी कहती है उसके बाद आम्बिकेय पर्वत है जिसे लोग विभ्राजक तथा केसरी भी कहते है वही से वायु का प्रभाव आरम्भ होता है वहा जो 7 मर्यादा पर्वत है उन्ही के नाम पर खंड या वर्ष प्रसिद्द है यहाँ पर्वतों के दो-दो नाम है जैसे उदय, सुकुमार, कुमारी, जलधार, क्षेमक, और महाद्रुम इसके मध्य में शाक नाम के वृक्ष है उसके पत्तों को छूकर बहने वाली वायु का स्पर्श होने से बड़ा आनंद मिलता है वहा सात बड़ी-बड़ी नदियां है एक-एक नदी के दो नाम है जो सब पापों को नाश करने वाली है उनके नाम ये है सुकुमारी, कुमारी, नलिनी, रेणुका, इक्षु, धेनुका तथा गभस्ति

इनके अतिरिक्त वहाँ छोटी-छोटी हजारों नदिया है पर्वत भी सहस्त्रों की संख्या में है स्वर्ग भोगने के बाद जिन्होंने पृथ्वी पर आकर जलद आदि वर्षो में जन्म ग्रहण किया है वे लोग प्रसन्न होकर इन नदियों का जलपान करते है इन सातों वर्षों में धर्म का ह्रास पारस्परिक संधर्ष अथवा मर्यादा का उल्लंघन कभी नहीं होता मग, मागध, मानस, तथा मन्दग ये ही वहा के चार वर्ण है जो सूर्यरूप धारी श्री नारायण को पूजते है मग-सर्वश्रेष्ठ ब्रहामण, मागध-क्षत्रिय, मानस-वैश्य और मन्दग-शूद्र समझना चाहिय

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