रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण पर शोध - 3

पुराण को समझने के लिए 6 चीजों का ज्ञान होना अति आवश्यक है इसके बिना रहस्मय पुराण ग्रन्थ को नहीं समझ सकते
१) शिक्षा
२) कल्प
३) व्याकरण
४) निरुक्त
५) ज्योतिष
६) छन्द


१) शिक्षा
शिक्षा वह होता है जिसमे बच्चों को अक्षर और अंक को बताना, लिखाना, बोलना, इन सभी को कंठस्थ करानादि
इसके बाद सभी अक्षरो एवं अंको को जोरना, मात्रा बनाना, वाक्य बनाना, समूहों में सामान को व्यवथित करवान, धटवाना, ज्यादा करवाना, बाटनादि
इसके बाद अच्छे-बुरे का भेद बताना, समाज और देश के लिय कौन सा कार्य सही है वह बतानादि

२) कल्प
यह संख्याओं का गाथा है इनमें सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की गणना की जानकारी है ये कल्प रूपी शिक्षा इस पुराण को समझने के लिय अत्यंत आवश्यक है तभी सभी चीजों के बारे में ठीक ठीक आकलन किया जा सकता है
इसमे आपको इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार, दसहजार, लाख, दसलाख आदि का ज्ञान कराया जाता है
इनको किस तरह से बनाया गया है और किस प्रकार से इसकी व्यवस्थापना है इसके बारे में बताया जाता है
जैसे एक मनवन्तर में देवताओं के 12000 हजार दिव्य वर्ष होते है, मनुष्यों के हिसाब से 4320000 वर्ष होते है जिसमे दिन-रात 1577917828 होते है आदि

३) व्याकरण
इसके द्वारा हमें शव्दों की दूरदर्शिता के बारे में बताया जाता है जिसमे व्याकरण के 8 भागों से परिचित कराया जाता है
जैसे वर्तमान समय के राजा पुष्पमित्र होंगे अर्थात
पुष्प = फुल, मित्र = संगठन या दल या समूह आदि
अर्थात फुल समूह के लोग इस बार भारत वर्ष के राजा होंगे

४) निरुक्त
इसके द्वारा समस्त धातुओं के बारे में ज्ञान दिया जाता है किस धातु का क्या कार्य है, किस प्रकार से इन धातुओ से कार्य लिया जाता है, इनको किस प्रकार से तैयार किया जाता है किन धातु को किन परिस्थितियों में किस तरह से व्यवहार में लाना चाहिय आदि का ज्ञान कराया जाता है
जैसे:- एक मिट्टी का पात्र लें, उसमें ताम्र पट्टिका (Copper Sheet) डालें तथा शिखिग्रीवा (Copper sulphate) डालें, फिर बीच में गीली काष्ट पांसु (wet saw dust) लगाएं, ऊपर पारा (mercury) तथा दस्त लोष्ट (Zinc) डालें, फिर तारों को मिलाएंगे तो उससे मित्रावरुणशक्ति (Electricity) का उदय होगा।
इन चार प्रकार के ज्ञान के द्वारा आप एक कुशल और तरह तरह के वस्तु आदि के नव-निर्माण में पारंगत हो जाते है अर्थात आप कुशल इंजिनियर या वैज्ञानिक बन जाते है

५) ज्योतिष
इसमे आप अंतरिक्ष में विराजमान ग्रह, उपग्रह, तारे और नक्षत्र की गति और उनसे उतपन्न होने वाले प्रभाव, अंतरिक्ष के मार्ग इत्यादि चीजो के बारे में ज्ञान प्राप्त कराया जाता है
जैसे ब्राह्रा, दैवता, मनुष्य, पितृ, सूर्य, सावन, चन्द्रमा, नक्षत्र तथा बृहस्पति
ये नौ प्रकार के वर्ष अर्थात साल अर्थात ईयर निकालने का मान है अर्थात 9 तरह से सालों की गणना हो सकती है जिसे आप 365 दिन बराबर एक साल कहते हो उसी तरह आप इन 9 मानो के द्वारा 9 प्रकार के साल बना सकते हो जैसे सूर्य के हिसाब से गणना करोगे तो 365 दिन का साल होगा, अगर सावन से गणना करोगे तो 360 दिन का साल आएगा, अगर चन्द्रमा से गणना करोगे तो 354 दिन का साल आएगा अगर नक्षत्र के द्वारा गणना करोगे तो 335 दिन का साल होगा इत्यादि

६) छन्द
जब आप इन पांचों विधा में पारंगत हो जाते है आप के लिय दुनिया की कोई भी चीज दुर्लभ नहीं हो सकती अपनी बातो को आप लिखने के लिय छन्द रूपी भाषा का प्रयोग किया जाता है जो औरो के लिय यह रहस्य रहता है
जैसे SS IIS IS I S II II II

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