रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -33
कल्प विस्तार वरणम्
कल्प गणना ०7
ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
कल्प विस्तार वरणम्
कल्प गणना ०7
ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
2 महीना = 1 ऋतू
3 ऋतू = 1 अयन
2 अयन = 1 वर्ष (12 महीनो = 1 वर्ष)
1 वर्ष में 2 अयन होते है जिसको उत्तरायण और दक्षिणायन कहते है
6 महीना = 1 पहला अयन (उत्तरायण North Pole में होते है)
6 महीना = 1 दूसरा अयन (दक्षिणायन South Pole में होते है)
उत्तरायण देवताओं का 1 दिन, दक्षिणायन देवताओं का 1 रात्री होते है यह दिन और रात इस वर्तमान समय में पृथ्वी के उत्तरायण में जिसका वर्त्तमान नाम नार्थ अटलांटिका और दक्षिणायन में जिसका वर्त्तमान नाम साउथ अटलांटिका है वहाँ होता है यह इसका प्रमाण है
एक मनवंतर के सत्य युग में 4000 हजार दिव्य वर्ष, त्रेता में 3000 हजार दिव्य वर्ष, द्वापर में 2000 दिव्य वर्ष और कलयुग में 1000 दिव्य वर्ष होते है
चारो युगों के वर्षों को जोरने पर 10000 हजार दिव्य वर्ष यह देवताओं के वर्ष होता है तथा 2000 दिव्य वर्ष जो बचता है वह पितरों का संध्या और संध्यांश वर्ष है (400+400+300+300+200+200+100+100 = 2000) इस तरह 12000 हजार दिव्य वर्ष देवताओं का एक मनवंतर कहलाता है
मनुष्यों का 1 वर्ष = 1 दिन देवताओं का
मनुष्यों का 360 वर्ष = 1 वर्ष देवताओ का (देवताओं के वर्ष को दिव्यवर्ष कहते है)
3 ऋतू = 1 अयन
2 अयन = 1 वर्ष (12 महीनो = 1 वर्ष)
1 वर्ष में 2 अयन होते है जिसको उत्तरायण और दक्षिणायन कहते है
6 महीना = 1 पहला अयन (उत्तरायण North Pole में होते है)
6 महीना = 1 दूसरा अयन (दक्षिणायन South Pole में होते है)
उत्तरायण देवताओं का 1 दिन, दक्षिणायन देवताओं का 1 रात्री होते है यह दिन और रात इस वर्तमान समय में पृथ्वी के उत्तरायण में जिसका वर्त्तमान नाम नार्थ अटलांटिका और दक्षिणायन में जिसका वर्त्तमान नाम साउथ अटलांटिका है वहाँ होता है यह इसका प्रमाण है
एक मनवंतर के सत्य युग में 4000 हजार दिव्य वर्ष, त्रेता में 3000 हजार दिव्य वर्ष, द्वापर में 2000 दिव्य वर्ष और कलयुग में 1000 दिव्य वर्ष होते है
चारो युगों के वर्षों को जोरने पर 10000 हजार दिव्य वर्ष यह देवताओं के वर्ष होता है तथा 2000 दिव्य वर्ष जो बचता है वह पितरों का संध्या और संध्यांश वर्ष है (400+400+300+300+200+200+100+100 = 2000) इस तरह 12000 हजार दिव्य वर्ष देवताओं का एक मनवंतर कहलाता है
मनुष्यों का 1 वर्ष = 1 दिन देवताओं का
मनुष्यों का 360 वर्ष = 1 वर्ष देवताओ का (देवताओं के वर्ष को दिव्यवर्ष कहते है)
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