रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -14
भूमण्डल विस्तार वरणम्
पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन
भूमण्डल विस्तार वरणम्
पृथ्वी पर के वर्षो और द्वीपों का संक्षेप में वर्णन
(5) कुश द्वीप (Mplokai Island)
कुश द्वीप में ज्योतिष्मान राजा है जिसके सात पुत्र है इनके ही नाम से यहा सात वर्ष है उद्दिद, वेनुमान, सूरत, रन्धन, धृति, प्रभाकर, और कपिल है वहा मनुष्यों के साथ साथ दैत्य, दानव, देवता, गंधर्व, यक्ष, और किन्नर आदि भी निवास करते है वहा के मनुष्यों में भी चार वर्ण है जो अपने अपने कर्तव्य के पालन में ततपर है उन वर्णों के नाम इस प्रकार है डमी, शुष्मी, स्नेह, तथा मन्देह ये क्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के श्रेणी में बताये गए है वे शासतोक्त कर्मो का ठीक ठीक पालन करते और अपने अधिकार के आरम्भक कर्मो का क्षय होने के लिय कुश द्वीप में ब्रह्मा रूपी भगवान जनार्दन का यजन करते है
विद्रुम, हेमशैल, द्युतिमान, पुष्टिमान, कुशेशय, हरी, और मंदराचल ये सात पर्वत वहा के वर्ष पर्वत है और नदिया भी सात ही है धूतपापा, शिवा, पवित्रा, सम्मति, विधुत, अम्भस्, तथा मही, ये सब पापों के हरण करने वाली है इसके अलावा वहा बहुत से छोटी छोटी नदिया और पर्वत है कुश द्वीप में कुशों का बहुत बड़ा वन है अत: उसी के नाम पर उस द्वीप की प्रसिद्धि है वह द्वीप अपने ही बराबर विस्तार वाली धी के समुद्र से धीरा हुआ है
कुश द्वीप में जो सात कुल पर्वत है उन सभी पर्वतों के दो दो नाम है जैसे कुमुद-विद्रुम, उन्नत-हेम, ड्रोन-पुष्पवान, कनक-कुश, ईश-अग्निमान, महिष-हरी, इस पर अग्नि का निवास है जो हर साल दिखाई देता है (अर्थात प्रत्येक वर्ष कुश की झाड़ी में अपने आप आग लग जाती है जिस पर वैज्ञानिकों ने काफी शोध किया और कर रहे है किन्तु अभी तक उन्हें इस पर आग लगाने की कारण को समझ नहीं सका है) ककुध्र-मंदर ये सभी कुश द्वीप में व्यवस्थित है
इन पर्वतों से विभाजित भूभाग ही विभिन्न वर्ष या खंड है उनमे से एक-एक वर्ष के दो नाम है कुमुद पर्वत से वर्ष का नाम श्वेत या उद्धिद कहा जाता है अंतगिरी पर्वत के पास लोहित-वेणुमंडल नाम से है वहालकपर्वत के पास जीमूत या रथकार है द्रोणागिर के पास के वर्ष को हरी-बलाधान कहते है
यहाँ भी सात नदिया है प्रत्येक नदिया के दो नाम है जैसे प्रतोया-प्रवेशा, शिवा-यशोदा, चित्रा-कृष्णा, ह्रदीनी-चंद्रा, विधुल्लता-शुक्ला, वर्णा-विभावरी, महती-धृति कहते है यहां और भी अन्य छोटी छोटी अनेको नदिया है
यह कुश द्वीप के अवान्तर भाग का वर्णन है कुशद्वीप के मध्य में एक बहुत बड़ी कुश की झारी है जहा प्रत्येक वर्ष अग्निदेव यज्ञ प्रज्जोलित करते है इसी कुश के झाड़ी के कारण इसका नाम कुश द्वीप पड़ा है
कुश द्वीप में ज्योतिष्मान राजा है जिसके सात पुत्र है इनके ही नाम से यहा सात वर्ष है उद्दिद, वेनुमान, सूरत, रन्धन, धृति, प्रभाकर, और कपिल है वहा मनुष्यों के साथ साथ दैत्य, दानव, देवता, गंधर्व, यक्ष, और किन्नर आदि भी निवास करते है वहा के मनुष्यों में भी चार वर्ण है जो अपने अपने कर्तव्य के पालन में ततपर है उन वर्णों के नाम इस प्रकार है डमी, शुष्मी, स्नेह, तथा मन्देह ये क्रम से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के श्रेणी में बताये गए है वे शासतोक्त कर्मो का ठीक ठीक पालन करते और अपने अधिकार के आरम्भक कर्मो का क्षय होने के लिय कुश द्वीप में ब्रह्मा रूपी भगवान जनार्दन का यजन करते है
विद्रुम, हेमशैल, द्युतिमान, पुष्टिमान, कुशेशय, हरी, और मंदराचल ये सात पर्वत वहा के वर्ष पर्वत है और नदिया भी सात ही है धूतपापा, शिवा, पवित्रा, सम्मति, विधुत, अम्भस्, तथा मही, ये सब पापों के हरण करने वाली है इसके अलावा वहा बहुत से छोटी छोटी नदिया और पर्वत है कुश द्वीप में कुशों का बहुत बड़ा वन है अत: उसी के नाम पर उस द्वीप की प्रसिद्धि है वह द्वीप अपने ही बराबर विस्तार वाली धी के समुद्र से धीरा हुआ है
कुश द्वीप में जो सात कुल पर्वत है उन सभी पर्वतों के दो दो नाम है जैसे कुमुद-विद्रुम, उन्नत-हेम, ड्रोन-पुष्पवान, कनक-कुश, ईश-अग्निमान, महिष-हरी, इस पर अग्नि का निवास है जो हर साल दिखाई देता है (अर्थात प्रत्येक वर्ष कुश की झाड़ी में अपने आप आग लग जाती है जिस पर वैज्ञानिकों ने काफी शोध किया और कर रहे है किन्तु अभी तक उन्हें इस पर आग लगाने की कारण को समझ नहीं सका है) ककुध्र-मंदर ये सभी कुश द्वीप में व्यवस्थित है
इन पर्वतों से विभाजित भूभाग ही विभिन्न वर्ष या खंड है उनमे से एक-एक वर्ष के दो नाम है कुमुद पर्वत से वर्ष का नाम श्वेत या उद्धिद कहा जाता है अंतगिरी पर्वत के पास लोहित-वेणुमंडल नाम से है वहालकपर्वत के पास जीमूत या रथकार है द्रोणागिर के पास के वर्ष को हरी-बलाधान कहते है
यहाँ भी सात नदिया है प्रत्येक नदिया के दो नाम है जैसे प्रतोया-प्रवेशा, शिवा-यशोदा, चित्रा-कृष्णा, ह्रदीनी-चंद्रा, विधुल्लता-शुक्ला, वर्णा-विभावरी, महती-धृति कहते है यहां और भी अन्य छोटी छोटी अनेको नदिया है
यह कुश द्वीप के अवान्तर भाग का वर्णन है कुशद्वीप के मध्य में एक बहुत बड़ी कुश की झारी है जहा प्रत्येक वर्ष अग्निदेव यज्ञ प्रज्जोलित करते है इसी कुश के झाड़ी के कारण इसका नाम कुश द्वीप पड़ा है
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