"ज्ञान-विज्ञान के हिसाब से किसे महान कहा गया है"
अधिक आयु हो जाने से, बाल पक जाने से, धन से अथवा बंधू-बांधवों से कोई बड़ा नहीं होता
ऋषि-मुनियों ने यह धर्म पूर्ण निश्चय किया है की हमलोगों में जो "अनुचान" हो वही महान है
शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्यौतिष तथा छन्द:शास्त्र के इन छ: विद्वान को वेदांग कहते है
धर्म का प्रतिपादन करने में ऋगवेद, यजुर्वेेद, सामवेद, और अथर्ववेद ये चार वेद प्रमाण है
जो द्विज श्रेष्ठ गुरु से छ: वेदांग और चार वेदों का अध्यन भली-भाती करता है वह "अनुचान" होता है
इसके अलावा करोड़ों ग्रन्थ वाच लेने से भी कोई "अनुचान" नहीं कहलाता
अधिक आयु हो जाने से, बाल पक जाने से, धन से अथवा बंधू-बांधवों से कोई बड़ा नहीं होता
ऋषि-मुनियों ने यह धर्म पूर्ण निश्चय किया है की हमलोगों में जो "अनुचान" हो वही महान है
शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्यौतिष तथा छन्द:शास्त्र के इन छ: विद्वान को वेदांग कहते है
धर्म का प्रतिपादन करने में ऋगवेद, यजुर्वेेद, सामवेद, और अथर्ववेद ये चार वेद प्रमाण है
जो द्विज श्रेष्ठ गुरु से छ: वेदांग और चार वेदों का अध्यन भली-भाती करता है वह "अनुचान" होता है
इसके अलावा करोड़ों ग्रन्थ वाच लेने से भी कोई "अनुचान" नहीं कहलाता
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