रविवार, 23 नवंबर 2014

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -०4

रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -०4

भूमण्डल विस्तार वरणम्

इस इलावर्त वर्ष Bermuda के ठीक आगे के मध्य center के बीचो बीच में सुवर्णमय मेरुपर्वत है जिसे आजकल के मनुष्य Magnetic-Hole कहते है यह Magnetic-Hole रूपी मेरु पर्वत प्रचंड सूर्य के सामान, बिना धुएं के अग्नी रूपी स्वच्छ सीसे के सामान खड़ा है

जैसे आप पानी को गरम करते हो तो उससे भाप उतपन्न होती है वह भाप 700 डिग्री सेल्सियस से निचे गर्म होने पर हमें दिखाई देता है परन्तु अगर 700 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जब हम इस भाप को और तपाते है तो यह दिखाई देना बंद हो जाता है अगर इसे कांच के जार में देखेंगे तो वह हमें नहीं दिखाई देता तब अगर हम किसी भी रोशनी को उसके आर पार करना चाहे तो रोशनी उस भाप को आर पार नहीं कर पाती है इसी तरह से यह Magnetic-Hole रूपी मेरु पर्वत है जिसमे से कोई भी रोशनी आर-पार नहीं कर सकता चाहे वह सूर्य या चन्द्रमा की ही क्यों ना किरणे हो यही इस पर्वत का होने के प्रमाण है इसके पास कोई भी जीव नहीं जा सकता

इस Magnetic-Hole की उचाई 84000 हजार योजन है और निचे की ओर यह 16000 हजार योजन पृथ्वी में घुसा हुआ है इसकी पृथ्वी के अंदर से लेकर अंतरिक्ष तक की लम्बाई एक लाख योजन है इस Magnetic-Hole रूपी मेरु पर्वत के शिखर पर जा कर इसका विस्तार 32000 हजार योजन का हो गया है और 96 योजन की दूरी में चारों तरफ से फैला है यह मेरु के शिखर का प्रमाण है

जैसे शराब के प्याले होती है उसी तरह यह Magnetic-Hole निचे पेंदी में चौड़ा इसके बाद गरदन की तरह पतला ऊपर के तरफ और ज्यादा चौड़ा Magnetic-Hole रूपी मेरु पर्वत पृथ्वी रूपी कलम के कर्णिका के रूप में स्थित है

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