रहस्यमय पुराण प्रारंभ भाग -27
कल्प विस्तार वरणम्
कल्प गणना ०१
ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
कल्प विस्तार वरणम्
कल्प गणना ०१
ब्रह्माण्ड की आयु वेदिक गणना के अनुसार
ब्र्ह्मा जी के अपने निजी मान से उनकी आयु 100 वर्ष माने गए है ब्रह्मा जी
की इस 100 वर्ष आयु को “पर” कहते है, आधे को “परार्ध” कहते है और ब्र्ह्मा
जी के एक दिन के आयु को “कल्प” कहते है
ब्र्ह्मा जी के एक दिन रूपी कल्प में चौदह मनवन्तर होते है, एक देवताओं के समूह के कार्यकाल को एक मनवन्तर कहते है, सूर्य से लेकर सप्तऋषि तारे तक के स्थान, देवताओं का निवास स्थान है जब मनवन्तर की समाप्ति होती है तो सूर्य से लेकर सप्तऋषि तारे तक के स्थान का संहार हो जाता है और यह सभी देवता अपने कर्म के अनुसार कुछ बैकुंठ धाम, कुछ ब्रह्म धाम को चले जाते है वह फ़िर इस लोक मे वापिस नहीं होते जो देवता उस लोक नही जा पाते वह पुन जन्म लेकर फ़िर से कर्मयोग के द्वारा बैकुंठ धाम जाने के लिय कार्य करते है इस तरह ब्रह्मा जी के एक दिन मे चौदह मनवन्तर आते और जाते है
सभी मनवन्तर एक सामान होता है किन्तु सभी मनवन्तर में जीवों की शक्ल सूरत भिन्न भिन्न होती है जैसे चाक्षुस मनवन्तर में मानव रूपी जीव की शक्ल बिल्ली के सामान था और इस वर्तमान वैवस्त मनवन्तर में दो पैर, दो हाथ और एक सर वाला है अगले मनवन्तर में दो पैर, चार हाथ से अधिक वाले जीव रूपी मानव होंगे
ब्र्ह्मा जी के एक दिन रूपी कल्प में चौदह मनवन्तर होते है, एक देवताओं के समूह के कार्यकाल को एक मनवन्तर कहते है, सूर्य से लेकर सप्तऋषि तारे तक के स्थान, देवताओं का निवास स्थान है जब मनवन्तर की समाप्ति होती है तो सूर्य से लेकर सप्तऋषि तारे तक के स्थान का संहार हो जाता है और यह सभी देवता अपने कर्म के अनुसार कुछ बैकुंठ धाम, कुछ ब्रह्म धाम को चले जाते है वह फ़िर इस लोक मे वापिस नहीं होते जो देवता उस लोक नही जा पाते वह पुन जन्म लेकर फ़िर से कर्मयोग के द्वारा बैकुंठ धाम जाने के लिय कार्य करते है इस तरह ब्रह्मा जी के एक दिन मे चौदह मनवन्तर आते और जाते है
सभी मनवन्तर एक सामान होता है किन्तु सभी मनवन्तर में जीवों की शक्ल सूरत भिन्न भिन्न होती है जैसे चाक्षुस मनवन्तर में मानव रूपी जीव की शक्ल बिल्ली के सामान था और इस वर्तमान वैवस्त मनवन्तर में दो पैर, दो हाथ और एक सर वाला है अगले मनवन्तर में दो पैर, चार हाथ से अधिक वाले जीव रूपी मानव होंगे
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