रविवार, 23 नवंबर 2014

"रहस्यमय पुराण ग्रन्थ पर शोध"

पुराण का परिचय

पुराण सब शास्त्रों के पहले से ही विधमान है ब्रह्मा जी सबसे पहले पुराणों का ही समरन किया था पुराण धर्म अर्थ और काम के साधक एवं परम पवित्र है इसकी रचना 100 cr करोड़ श्लोकों के साथ हुई है समय के अनुसार इतने बड़े पुराणों का श्रवण और पठन असमभव देखकर स्वयं भगवान् उसका सक्षेप करने के लिए प्रत्येक द्वापर युग में व्यास रूप से अवतार लेते है और 4 Lac लाख श्लोकों के साथ 18 पुराणों में बाँट देते है पुराणों का यह सक्षिप्त संकरण ही इस भूमण्डल में प्रकाशित होते है देवलोक में आज भी 100 cr करोड़ श्लोकों के विस्तृत के साथ पुराण मौजूद है।

पृथ्वी पर जो 4 लाख श्लोकों के साथ यह पुराण उपस्थित है क्रमानुसार इस तरह से है


(1) ब्रह्मा पुराण (2) पदम् पुराण (3) विष्णु पुराण (4) शिव पुराण (5) भागवत पुराण (6) नारद पुराण (7) मारकंडे पुराण (8) अग्नी पुराण (9) भविष्य पुराण (10) वैवत पुराण (11) नरसिम्भा पुराण (12) वराह पुराण (13) स्कन्द पुराण (14) वावन पुराण (15) कूर्म पुराण (16) मत्स्य पुराण (17) गरुड़ पुराण (18) ब्रह्मांड पुराण

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